श्री आदिनाथ जिनेन्द्र वेदी: ऊर्जा एवं कल्याण का दिव्य स्रोत

श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर जी के दाएँ कोने में, प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री १००८ आदिनाथ जी की एक भव्य एवं दिव्य वेदी स्थित है। यह स्थान अलौकिक ऊर्जा का एक जीवंत केंद्र माना जाता है, जहाँ प्रभु की भक्ति से आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।

वेदी की अद्वितीय संरचना

 

इस वेदी की संरचना अत्यंत अनूठी है। यहाँ मूलनायक भगवान आदिनाथ एवं अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमाएं दीवार के सहारे दो लंबवत (perpendicular) दिशाओं में विराजमान हैं। इस विशेष संरचना के कारण, भक्तों को दो अलग-अलग दिशाओं से प्रभु के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

वेदी के मध्य में स्थापित एक प्राचीन धातु का मानस्तंभ यहाँ की दिव्यता को और भी बढ़ाता है। यह मानस्तंभ भक्तों के मन में प्रभु के प्रति नम्र भाव और सच्ची भक्ति का वातावरण बनाता है।

 

ऊर्जावान प्रतिमाएं एवं दर्शन का फल

 

यहाँ विराजमान भगवान आदिनाथ की अति प्राचीन मूर्तियों में एक अलौकिक ऊर्जा और तेज विद्यमान है, जिसका अनुभव श्रद्धालुजन साक्षात करते हैं। ऐसी दृढ़ मान्यता है कि यहाँ आदिनाथ प्रभु के दर्शन और भक्तिमयी स्तुति, भक्तों के समस्त सांसारिक कष्टों को हरकर उन्हें कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ने की अनुपम शक्ति प्रदान करती है।

यह वेदी हर उस भक्त के लिए एक प्रेरणा स्रोत है जो अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक बल प्राप्त करना चाहता है।