समवशरण सभा
श्री पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र, टोड़ी जी में प्रत्येक माह एक विशेष दिव्य धर्म सभा का आयोजन किया जाता है, जिसे “समवशरण सभा” के नाम से जाना जाता है। यह सभा आत्म-कल्याण और सांसारिक समस्याओं के निवारण का एक अनूठा संगम है, जहाँ देवों द्वारा साक्षात मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
सभा का समय एवं अवधि
यह विशेष आयोजन प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी (१२) तिथि से लेकर आगामी शुक्ल पक्ष की द्वितीया (२) तिथि तक, कुल छह दिनों तक चलता है। विशेषकर चतुर्दशी एवं अमावस्या की तिथियों पर यहाँ का वातावरण अत्यंत प्रभावमयी होता है।
कष्ट-निवारण की दिव्य प्रक्रिया
इन छह दिनों के दौरान, तीर्थ के प्राचीन श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर जी में आयोजित ‘समवशरण-सभा’ में, देवों द्वारा भक्तजनों को उनके कष्टों के निवारण का मार्ग शुद्ध धार्मिक विधि से बताया जाता है। इस प्रक्रिया में वीतरागी देव-शास्त्र-गुरु की भक्ति और पूजन की प्रमुखता रहती है।
श्रद्धालुओं के लिए अनिवार्य शर्त
यह इस सभा का सबसे महत्वपूर्ण नियम है। किसी भी भक्त को कोई भी उपचार या उपाय बताने से पूर्व, उनसे सभी प्रकार के रागी-द्वेषी देवी-देवताओं की पूजा-भक्ति और मान्यता रूपी गृहीत-मिथ्यात्व को अनिवार्य रूप से छुड़ाया जाता है। जो भी यात्री इस शर्त के लिए पूर्ण रूप से सहमत नहीं होते, उन्हें कोई उपचार नहीं बताया जाता।
सरल भाषा में ईश्वरीय ज्ञान
सभा के दौरान, विभिन्न देवों द्वारा तीर्थंकरों की सभा में सुने गए गूढ़ प्रवचनों को अत्यंत सरल हिंदी भाषा में और प्रभावी शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इन प्रवचनों का श्रवण करना अपने आप में एक अलौकिक एवं अविस्मरणीय अनुभव होता है।
सभा में सम्मिलित होने के लाभ
यहाँ के भक्तिमय और ओत-प्रोत वातावरण में आकर व्यक्ति में स्वतः ही एक नई चेतना का संचार होता है। इस सभा में भाग लेने से:
अनेक प्रकार के सांसारिक झंझटों एवं बाधाओं से मुक्ति का उपाय मिलता है।
पारिवारिक सौहार्द्र एवं चिरंतन भारतीय-संस्कारों का मूलमंत्र सिखाया जाता है।
परिवारजनों के प्रति परस्पर आदर, विश्वास और आपसी सहयोग के संस्कार सहज ही प्राप्त होते हैं।
पारिवारिक शांति एवं उन्नति का मार्ग सहज ही प्रशस्त होता है।
आप सभी इस मासिक आयोजन में सादर आमंत्रित हैं ताकि आप भी इस दिव्यता का अनुभव कर सकें और अपने जीवन को सुख-शांति से परिपूर्ण कर सकें।