तीर्थ परिसर के दर्शनीय स्थल

मानस्तंभ

तीर्थ परिसर के प्रवेश द्वार पर स्थित यह भव्य स्तंभ, दोनों मंदिरों के लिए विनय का प्रतीक है। इसके दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं का अहंकार शांत हो जाता है और वे शुद्ध मन से दर्शन हेतु तैयार होते हैं।

श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान

बड़े मंदिर में विराजित मूलनायक श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान् के दर्शन करें, जहाँ देवों द्वारा रचित अतिशय आज भी जीवंत हैं। यह वह दिव्य स्थल है जहाँ विश्व कल्याण हेतु प्राप्त होती देव-वाणी से मार्गदर्शन मिलता है।

भगवान श्री बाहुबली स्वामी

बड़ा मंदिर जी में प्रवेश करते ही त्याग और तप की प्रतिमूर्ति, भगवान बाहुबली की दिव्य प्रतिमा के दर्शन होते हैं। यह प्रतिमा हर भक्त को आत्म-नियंत्रण और वैराग्य की प्रेरणा प्रदान करती है।

श्री आदिनाथ जिनेन्द्र वेदी

मंदिर के दाएँ कोने में स्थित इस दिव्य वेदी पर मूलनायक श्री आदिनाथ के दर्शन करें। यहाँ की प्राचीन प्रतिमाएं सांसारिक कष्टों को हरकर कल्याण-मार्ग पर आगे बढ़ने की अनुपम शक्ति प्रदान करती हैं।

श्री वासुपूज्य जिनेन्द्र वेदी

बारहवें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी के दर्शन करें, जो पंच बाल-यतियों में प्रथम हैं। उनकी भक्ति मोक्ष मार्ग प्रशस्त करने के साथ सांसारिक बाधाओं से मुक्त होने की शक्ति प्रदान करती है।

श्री पार्श्वनाथ समवशरण

प्रथम तल पर स्थित यह दिव्य समवशरण रचना, भगवान पार्श्वनाथ की उपदेश स्थली का साक्षात अनुभव कराती है। यहाँ पार्श्वनाथ भगवान अपने दिव्य वैभव के साथ सर्वतोभद्र रूप में विराजमान हैं।

तीर्थंकर चौबीसी

यहाँ एक ही स्थान पर सभी २४ तीर्थंकरों के दर्शन का परम सौभाग्य प्राप्त होता है। यह दिव्य अनुपम चौबीसी भक्तों को संपूर्ण जिनशासन का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।

श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र वेदी

प्रथम तल पर स्थित एक दिव्य वेदी में, छठवें तीर्थंकर भगवान श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र अपनी शांत एवं करुणामयी मुद्रा में विराजमान हैं।

पंच श्रुत-केवली

यह वेदी ज्ञान की अखंड परंपरा के प्रतीक, पाँचों श्रुत-केवलियों को समर्पित है। उनके दर्शन से जिनवाणी के प्रति श्रद्धा और सच्चा ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है।

नंदीश्वर द्वीप रचना

द्वितीय तल पर स्थित नंदीश्वर द्वीप की यह भव्य रचना स्तिथ है। इसके दर्शन भक्तों को जिन-धर्म के प्रति अपनी आस्था में दृढ़ बनाते हैं।

सहस्रकूट जिनालय

यह अद्वितीय सहस्रकूट जिनालय, जिसमें एक ही स्थान पर 1008 जिन प्रतिमाएँ विराजमान हैं। यह रचना हमें जिन-धर्म की विशालता और अनंतता का ज्ञान कराती है।

जिनवाणी माँ की वेदी

यहाँ जिनवाणी माँ एक दिव्य वेदी में विराजमान हैं। जिनवाणी माँ की उपासना करने से भक्तों को सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है और वे मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

छोटा मंदिर टोड़ी जी

छोटे मंदिर जी में विराजमान भगवान पार्श्वनाथ जी की दिव्य वेदी भी, संकटों को हरने वाली मानी जाती है।यहाँ का शांत वातावरण भक्तों को आकर्षित करता है।

तीर्थ क्षेत्र की शेष वेदियों एवं अन्य नवीन कृतियों का विवरण भी इस पृष्ठ पर शीघ्र ही जोड़ा जाएगा।