वीतराग भवन: त्याग, साधना और संस्कृति का केंद्र

श्री पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र, टोड़ी जी के प्रांगण में स्थित “वीतराग भवन” एक नवनिर्मित, विशाल एवं गौरवशाली संरचना है। इस भवन का निर्माण, तीर्थ पर होने वाले आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों को एक सुव्यवस्थित मंच प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। यह भवन दो प्रमुख भागों में विभाजित है, जो निवृत्ति (त्याग) और प्रवृत्ति (गृहस्थ धर्म) के मार्गों का सुंदर समन्वय प्रस्तुत करते हैं।

ऊपरी तल: मुनि एवं त्यागीजनों हेतु आवास

वीतराग भवन का ऊपरी हिस्सा (प्रथम, द्वतीय एवं तृतीय तल) पूर्ण रूप से परम पूज्य दिगंबर जैन मुनिराजों, आर्यिकाओं एवं त्यागी व्रतियों के प्रवास (ठहरने) के लिए समर्पित है। यहाँ उनके लिए शांत, एकांत और साधना के अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया गया है, जहाँ वे निर्बाध रूप से अपनी तपस्या, स्वाध्याय और आत्म-साधना कर सकें। यह सुविधा इस तीर्थ को संत-समागम के लिए एक आदर्श केंद्र बनाती है।

भू-तल: बहुउद्देशीय सभागार (Multi-purpose Hall)

भवन का निचला हिस्सा एक विशाल सभागार (Hall) के रूप में विकसित किया गया जिसका उपयोग विभिन्न आयोजनों के लिए किया जाता है:

  • धार्मिक आयोजन:

    • पर्युषण पर्व के दौरान दसलक्षण विधान का भव्य आयोजन।

    • पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के कार्यक्रम।

    • विशेष पूजन, विधान एवं समय-समय पर होने वाली प्रवचन सभाएँ।

  • सामाजिक एवं शैक्षिक कार्यक्रम:

    • श्रीमती कृष्णा दीदी मेमोरियल जैन स्कूल का वार्षिक उत्सव (Annual Function)।

    • विद्यालय के पुरस्कार वितरण समारोह एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम।

    • विभिन्न शैक्षिक एवं सामाजिक सेमिनार।

 

यह बहुउद्देशीय हॉल आधुनिक सुविधाओं से युक्त है और बड़े आयोजनों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में सक्षम है।

संक्षेप में, वीतराग भवन एक ओर जहाँ त्याग और वैराग्य के मार्ग पर चलने वाले साधुओं की सेवा करता है, वहीं दूसरी ओर समाज को धर्म और संस्कृति से जोड़ने वाले कार्यक्रमों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित है।